ऐ दोस्त आओ थोड़ा बैठे हम
इस खामोश पल के शोर में...
हवाओं की भीड़ में.....
क्या है क्या नहीं सब भूलकर..
चुपचाप यूँही बाहर तकते हुए...
वक्त की ना कोई दस्तक हो...
ना कोई बुलाने वाला हो..
जी लें आज ये पल बस...
ऐ दोस्त आओ थोड़ा बैठे हम।
इस खामोश पल के शोर में...
हवाओं की भीड़ में.....
क्या है क्या नहीं सब भूलकर..
चुपचाप यूँही बाहर तकते हुए...
वक्त की ना कोई दस्तक हो...
ना कोई बुलाने वाला हो..
जी लें आज ये पल बस...
ऐ दोस्त आओ थोड़ा बैठे हम।
Nice one.
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